Chanakya Niti : शादीशुदा औरतों को मायके में नहीं रखना चाहिए ज्यादा दिन, जानिए क्यों

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Chanakya Niti  : पहले के ऋषि- मुनियों द्वारा कई नीति और परंपराएं दिए गए है। जिसे आज भी कई पहलुओं के द्वारा अपनाया जाता है। वही इन सबमें चाणक्य की नीति को लोगो द्वारा आज भी अपनाया जाता है या उनके द्वारा कही गई बातों को बहुत ही गहराई से लिया जाता है। जहां चाणक्य की नीति में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित गहन और व्यावहारिक ज्ञान दिया गया है। जिसमे सबसे ज्यादा पारावरिक रिश्ते या समाज से जुड़ी पहलुओं के बारे में बताया जाता है। जिसमे आज हम अपनी चाणक्य द्वारा विवाह से जुड़ी नीति के बारे में बताने वाले है। चाणक्य के अनुसार, विवाह के बाद महिलाओं को मायके में अधिक दिन तक रुकना परिवार और समाज के लिए अनुकूल नहीं माना गया। इसके पीछे कई कारण और पहलुए बताए गए है। तो आइए जानते है विस्तार से इस विषय के बारे में।

Chanakya Niti द्वारा बताई गई विवाह के सिद्धांत


चाणक्य जिनका नाम और नीति आज भी बेहद मशहूर है। जिनकी नीतियों को आज भी लोगो के द्वारा अपनाया जाता है। जहां चाणक्य ने अपने ग्रंथों में परिवार को समाज की नींव के बारे में बताया है। शादी के बाद, महिला का नया घर यानी उसका ससुराल ही उसका प्राथमिक जगह होता है। वहा वो एक परिवार को जोड़ने और नए घर में खुशहाली लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वही अधिक समय तक मायके में बिताने से नए परिवार में तालमेल बैठाने में खलन उत्तपन्न हो सकती है।चाणक्य नीति के मुताबिक, शादी के बंधन में बंध जाने के बाद महिला को अपने नए घर की परंपराओं, रीति-रिवाजों और जिम्मेदारियों को अपनाना चाहिए। जिससे घर परिवार अच्छे से खुशहाल रह सके। वही नए रिश्तों में एक संतुलन बिठाने में दिक्कत ना हो।


चाणक्य नीति के अनुसार, दंपती के संबंध को परिवार का आधार बताया है। वही अगर अपने विवाह के बाद एक औरत ज्यादातर मायके में रहती है, तो इसका असर दांपत्य जीवन पर भी पड़ता है।जिससे कई रिश्ते भी खराब होने के आसार रहते है।

महिलाओ को शादी के बाद क्यों नहीं रहना चाहिए मायके

पुराने समय में महिलाएं यदि मायके में ज्यादा समय तक रहती थी, तो यह समाज में चर्चा का विषय बन सकता था। जिससे परिवार की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित हो सकती है। वर्तमान समय की बात करे तो, जहां महिलाओं को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर के लिए प्राथमिकता दी जाती है, इस नीति  को समय के साथ बदलकर देखने की आवश्यकता है। हालांकि, इसका मूल संदेश आज भी है कि रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए नए हर स्त्री पुरुष को अपने घर को प्राथमिकता देना चाहिए। वही ससुराल हो या मायका हर जगह के रिश्ते को बैलेंस बनाकर चलना चाहिए। जिससे हर रिश्ता खुश रहे।

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